अनुभूति में
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
की रचनाएँ-
गीतों में-
आधार
कुछ ठहर ले और
मेरी जिंदगी
जरा ठहरो
तुम ही जानो
बसंत का गीत
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आधार
तेरे दो ही अक्षर
मेरी पूरी धरती और पूरा आकाश
अब कैसा कितना असीम जल
कहा तिमिर में आँखें बोझल
चाहे पग रखना दूभर हो
चाहे तन का जर्जर अंचल
पर अंतर स्फूर्ति
बड़ा विश्वास
पथरीला पथ हुआ मखमली
धूमिल नभ में चाँदनी खिली
नए गीत फूटे अंकुर से
कानों में है मधुर रागिनी
यह तेरे स्नेह का
है अपूर्व एहसास
१ जुलाई २०२२
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