अनुभूति में
भवेश चंद जायसवाल
की रचनाएँ-
गीतों में-
ओ मीत
कागज की नाव
मत दो साथी
मौसम भी लगते हैं
हँसता है कौन
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ओ मीत!
क्यों न घट पाता अँधेरा
बोल रे मन मीत
हैं कहाँ आलोक बंदी
पूछता है गीत?
गाँव देखो
सो गया है
तिमिर चादर ओढ़
एक भी दीपक न जलता
शून्य ही हर मोड़
रो रहे हैं श्वान
बढ़ता मृत्यु का फैलाव
दीखता है हर तरफ
बस, तिमिर का सैलाब
मौन पीपल पेड़ गुमसुम
रो रहा ओ मीत!
घोर तम में देव ओझल
और बोझिल प्रीत
है कहाँ आलोक बंदी
पूछता है गीत?
१५ सितंबर २०१६
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