अनुभूति में
भवेश चंद जायसवाल
की रचनाएँ-
गीतों में-
ओ मीत
कागज की नाव
मत दो साथी
मौसम भी लगते हैं
हँसता है कौन
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मौसम भी लगते
हैं
मौसम भी लगते हैं
अनुशासनहीन।
नाच रहे गली-गाँव
नित शहरी जादू पर
लहराई दूब कहीं
मरुथल के बालू पर
नोच रह रोटी को
कौए बन दीन।
ऊब उठे दलदल से
मुरझाते ताल
आया है असमय ही
कैसा यह काल
पानी की प्यास लिए
ताक रही मीन।
फैल रही आज बात
महुवे के चूने की
साँझ की बिसात क्या
सूरज को छूने की
मधु के वे मोती हैं
सब लेंगे बीन।
१५ सितंबर २०१६
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