शील
शील जी के नाम से जाने जाने
वाले मन्नू लाल शर्मा शील का जन्म
१५ अगस्त १९१४
को हुआ था।
क्रांतिकारी विचारों और जूझारू
व्यक्तित्व के स्वामी शील जी अपने समय के लोकप्रिय नाटककार और
कवियों में से थे। उनका निधन
२३ नवंबर
१९९४ को हुआ।
चर्खाशाला, उदयपथ,
एक पग, अंगड़ाई, लावा और फूल, कर्मवाची शब्द हैं ये तथा लाल
पंखों वाली चिड़िया उनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियाँ हैं। किसान, तीन
दिन तीन घर तथा हवा का रुख शीर्षक से उनके तीन नाटक लोक भारती
प्रकाशन इलाहाबाद से प्रकाशित हुए थे। ये नाटक बाद में शील
रचनावली-१ के नाम से भी प्रकाशित हुए। किसान नामक उनका नाटक
रंगमंच पर भी बहुत लोकप्रिय हुआ था। उन्होंने कई पत्रिकाओं का
संपादन भी किया।
|
|
अनुभूति में
शील की रचनाएँ-
कविताओं में--
निराला
फिरंगी चले गए
बैल
मेघ न आए
राह हारी मैं न हारा
संध्या के बादल
हल की मूठ गहो
संकलन में--
मेरा भारत-आदमी
का गीत
|