राह तो एक थी
राह तो एक थी हम दोनों की आप
किधर से आए गए
हम जो लुट गए पिट गए, आप तो राजभवन में पाए गए
किस लीला युग में आ पहुँचे अपनी
सदी के अंत में हम
नेता, जैसे घास फूस के रावण खड़े कराए गए
जितना ही लाउडस्पीकर चीख़ा उतना
ही ईश्वर दूर हुआ
(अल्ला-ईश्वर दूर हुए) उतने ही दंगे फैले जितने
'दीन धरम' फैलाए गए
दादा की गोद में पोता बैठा
'महबूबा! महबूबा गाए
दादी बैठी मूड़ हिलाए हम किस जुग में आए गए
गीत ग़ज़ल है फ़िल्मी लय में
शुद्ध गलेबाज़ी शमशेर
आज कहां वो गीत जो कल थे गलियों गलियों गाए गए
24 जून 2007
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