अनुभूति में
शमशेर बहादुर सिंह
की रचनाएँ
अजुमन में-
क्यों बाकी है
राह तो एक थी
कविताओं में-
गीली मुलायम लटें
चाँद से बातें
चुका भी हूँ मैं नहीं
दूब
धूप कोठरी के आईने में
प्रेम
सूर्योदय
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गीली मुलायम लटें
गीली मुलायम लटें
आकाश
साँवलापन रात का गहरा सलोना
स्तनों के बिंबित उभार लिए
हवा में बादल
सरकते
चले जाते हैं मिटाते हुए
जाने कौन से कवि को...
नया गहरापन
तुम्हारा
हृदय में
डूबा चला जाता
न जाने कहाँ तक
आकाश-सा
ओ साँवलेपन
ओ सुदूरपन
ओ केवल
लयगति...
24 जून 2007
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