अनुभूति में
शमशेर बहादुर सिंह
की रचनाएँ
अजुमन में-
क्यों बाकी है
राह तो एक थी
कविताओं में-
गीली मुलायम लटें
चाँद से बातें
चुका भी हूँ मैं नहीं
दूब
धूप कोठरी के आईने में
प्रेम
सूर्योदय
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दूब
मोटी, धुली लॉन की दूब,
साफ़ मखमल की कालीन।
ठंडी धुली सुनहरी धूप।
हल्की मीठी चा-सा दिन,
मीठी चुस्की-सी बातें,
मुलायम बाहों-सा अपनाव।
पलकों पर हौले-हौले
तुम्हारे फूल से पाँव
मानो भूलकर पड़ते
हृदय के सपनों पर मेरे!
अकेला हूँ आओ!
24 जून 2007 |