अनुभूति में
पं. नरेन्द्र शर्मा की अन्य कविताएँ
गीतों में-
कहानी कहते कहते
रथवान
स्वागतम
अन्य छंदों में-
पनिहारिन
संकलन में-
मेरा भारत–
जय जयति भारत भारती
प्रेमगीत– आज
के बिछड़े
ज्योति पर्व–
ज्योति
वंदना
वर्षा मंगल–
नाच रे मयूरा
पं. नरेन्द्र
शर्मा का संलग्न गीत १९८२ एशियाड के स्वागत गान के लिए चुना गया
था। इसका संगीत पं. रविशंकर ने दिया था।
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रथवान
हम रथवान, ब्याहली रथ में,
रोको मत पथ में
हमें तुम, रोको मत पथ में।
माना, हम साथी जीवन के,
पर तुम तन के हो, हम मन के।
हरि समरथ में नहीं, तुम्हारी गति हैं मन्मथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम हरि की धनि के रथ-वाहक,
तुम तस्कर, पर-धन के वाहक
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी, तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
दूर पिया, अति आतुर दुलहन,
हमसे मत उलझो तुम इस क्षण।
अरथ न कुछ भी हाथ लगेगा, ऐसे अनरथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह पथ के इति-अथ में!
हमें तुम, रोको मत पथ में।
शशिमुख पर घूँघट पट झीना
चितवन दिव्य-स्वप्न-लवलीना,
दरस-आस में बिंघा हुआ मन-मोती है नथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
हम रथवान ब्याहली रथ में,
हमें तुम, रोको मत पथ में। |