अनुभूति में
पं. नरेन्द्र शर्मा की अन्य कविताएँ
कहानी कहते कहते
पनिहारिन
रथवान
स्वागतम
संकलन में-
मेरा भारत–
जय जयति भारत भारती
प्रेमगीत– आज
के बिछड़े
ज्योति पर्व–
ज्योति
वंदना
वर्षा मंगल–
नाच रे मयूरा
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कहानी कहते कहते
मुझे कहानी कहते कहते -
माँ तुम क्यों सो गईं?
जिसकी कथा कही क्या उसके
सपने में खो गईं?
मैं भरता ही रहा हुंकारा, पर
तुम मूक हो गईं सहसा
जाग उठा है भाव हृदय में, किसी अजाने भय विस्मय-सा
मन में अदभत उत्कंठा का -
बीज न क्यों बो गईं?
माँ तुम क्यों सो गईं?
बीते दिन का स्वप्न तुम्हारा,
किस भविष्य की बना पहेली
रही अबूझी बात बुद्धि को रातों जाग कल्पना खेली
फिर आईं या नहीं सात -
बहनें बन में जो गईं?
माँ तुम क्यों सो गईं?
पीले रंग के जादूगर ने कैसी
काली वेणु बजाई
बेर बीनती सतबहना को फिर न कहीं कुछ दिया दिखाई
क्यों उनकी आँखें, ज्यों मेरी -
गगनलीन हो गईं?
माँ तुम क्यों सो गईं?
फिर क्या हुआ सोचता हूँ मैं,
क्या अविदित वह शेष कथा है
जीव जगे भव माता सोए, मन में कुछ अशेष व्यथा है
बेध सुई से प्रश्न फूल मन -
माला में पो गईं!
माँ तुम क्यों सो गईं? |