अनुभूति में
भवानी प्रसाद मिश्र की रचनाएँ
गौरव ग्राम में-
इसे जगाओ
गीत फरोश
चार कौवे उर्फ़ चार हौवे
जाहिल मेरे बाने
दरिंदा
महारथी
मैं
क्यों लिखता हूँ
स्नेह पथ
सतपुड़ा के जंगल
सुबह
हो गई है
अंजुमन में-
हँसी आ रही है
संकलन में-
वर्षा मंगल -
बूँद टपकी नभ से
गुच्छे भर अमलतास -
मैं
क्या करूँगा |
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मैं क्यों लिखता
हूँ
मैं कोई पचास-पचास बरसों से
कविताएँ लिखता आ रहा हूँ
अब कोई पूछे मुझसे
कि क्या मिलता है तुम्हें ऐसा
कविताएँ लिखने से
जैसे अभी दो मिनट पहले
जब मैं कविता लिखने नहीं बैठा था
तब काग़ज़ काग़ज़ था
मैं मैं था
और कलम कलम
मगर जब लिखने बैठा
तो तीन नहीं रहे हम
एक हो गए
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