भवानीप्रसाद
मिश्र
जन्म: सन १९१२
ई. मध्य प्रदेश में।
भवानीप्रसाद मिश्र दूसरे
तार-सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। मिश्र जी विचारों, संस्कारों और
अपने कार्यों से पूर्णत: गांधीवादी हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता,
पावनता और नैतिकता का प्रभाव और उसकी झलक भवानीप्रसाद मिश्र की
कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह
'गीत-फ़रोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के
कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ।
मिश्र जी की कविताओं का प्रमुख गुण कथन की सादगी है। बहुत
हल्के-फुलके ढंग से वे बहुत गहरी बात कह देते हैं जिससे उनकी
निश्छल अनुभव संपन्नता का आभास मिलता है। इनकी काव्य-शैली हमेशा
पाठक और श्रोता को एक बातचीत की तरह सम्मिलित करती चलती है।
मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन को बहुत प्रचारित और प्रसारित
नहीं किया।
वे मौन निश्छलता के साथ
साहित्य-रचना में संलग्न हैं। इसीलिए उनके बहुत कम काव्य-संग्रह
प्रकाशित हुए हैं। 'गीत-फ़रोश' के प्रकाशन के वर्षों बाद 'चकित
है दुख', और 'अंधेरी कविताएँ' नामक दो काव्य-संग्रह इधर प्रकाशित
हुए हैं। |
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अनुभूति में
भवानी प्रसाद मिश्र की रचनाएँ
गीतों में-
गीत फरोश
स्नेह पथ
सतपुड़ा के जंगल
विविध-
इसे जगाओ
चार कौवे उर्फ़ चार हौवे
जाहिल मेरे बाने
दरिंदा
महारथी
मैं
क्यों लिखता हूँ
सुबह
हो गई है
अंजुमन में-
हँसी आ रही है
संकलन में-
खिला कमल-
कमल
के फूल
वर्षा मंगल -
बूँद टपकी नभ से
गुच्छे भर अमलतास -
मैं
क्या करूँगा
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