ग्रीष्म पचीसी
आ गया ग्रीष्मकाल फिर, होगी बिजली फेल।
दिये जलाने पड़ेंगे, होगा महँगा तेल।।1।।
गर्मी ने है कर दिया, सागर जल निर्यात।
अब वह बादल बनेगा, लाएगा बरसात।।2।।
बढ़ती गर्मी देख कर, पत्नी हुई अधीर।
कहे सौ की एक कहूँ, ले चल अब कश्मीर।।3।।
नेता अभिनेता बने, करके कई जुगाड़।
लगती गर्मी जिन्हे है, जाते वही पहाड़।।4।।
सर्दी भी, बरसात भी, आ कर गई बहार।
अब फिर गर्मी लगेगी, ठंडी लगे फुहार।।5।।
गर्मी में सूखे गला, सूखे नदिया ताल।
कोल्डड्रींक को बेच वह, होते मालामाल।।6।।
वह गर्मी बरसात का, डर कर लेते नाम।
हमको अच्छे लगें यह, हम खाते हैं आम।।7।।
सड़कों पर भी फैलती, गर्मी में दुर्गंध।
घर-घर पौध लगाइए, देंगे पुष्प सुगंध।।8।।
सर्दी तक तो लगे थे, हीटर हमें मुफीद।
स्वागत गर्मी का किया, कूलर लिए ख़रीद।।9।।
गर्मी में अच्छे लगें, बरगद पीपल नीम।
पाकड़ इमली आम भी, कहते वैद्य हकीम।।10।।
अब तो गर्मी आ गई, आएँगे तूफ़ान।
आँधी आए ज़ोर की, पकड़ें आग मकान।।11।।
गर्मी आई ज़ोर की, होना नहीं उदास।
भूख आपकी घटेगी, नहीं बुझेगी प्यास।।12।।
टंकी है जल निगम की, करती रहे विनाश।
नल भी गर्मी देख कर, करता हमें निराश।।13।।
लोग घरों में बंद हैं, लगते शहर उजाड़।
गर्मी का वरदान है, रौनक बढ़ी पहाड़।।14।।
गए थे पास प्रेमिका, लौटे हुए उदास।
गर्मी के बलिहार है, कहे न आओ पास।।15।।
कंगन का जोड़ा मिला, लाई मेरी सास।
ठंडे पानी ने दिया, ग्रीष्म का एहसास।।16।।
सूरज गोला आग का, पृथ्वी बहता नीर।
दोनों आते पास जब, होती गर्म समीर।।17।।
पृथ्वी चक्कर काटती, सूरज के कल्यान।
गर्मी सर्दी प्यार वश, दे देता भगवान।।18।।
आया ग्रीष्म गया निकल, भीगे कई रूमाल।
होता नहीं चुनाव तो, जाते नैनीताल।।19।।
गर्मी आई मर गए, लू से लोग पचास।
आग लगी अस्सी मरे, सुन हम हुए उदास।।20।।
गर्मी की हों छुटि्टयाँ, बनते गिन-गिन प्लान।
यों ही निकल जाती वह, जाने कब कल्यान।।21।।
यहाँ ग्रीष्म उत्सव बनी, वहाँ फैलाती रोग।
जगह-जगह की बात है, कहें सियाने लोग।।22।।
स्वागत करें ग्रीष्म का, बच्चे और कुम्हार।
मालिक रेस्टोरेंट के, पर्वत की सरकार।।23।।
रो रो बच्चे पढ़ रहे, कहते हो बेहाल।
राह ग्रीष्म की देखते, जाना है ननिहाल।।24।।
गर्मी लगती प्यास है, पानी बसते कीट।
मंत्री जी अब करो कुछ, या फिर छोड़ो सीट।।25।।
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