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अनुभूति में देवेश दीक्षित देव की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अच्छी नहीं होती
क्या समझा मुझे
जिसे अपना समझते थे
बाद तुम्हारे
बाहर मीठे होते हैं

दोहों में-
नागफनी से आचरण

 

बाद दुम्हारे

बाद तुम्हारे देख न पाया, दरपन कैसा होता है
चूड़ी, बिंदी, काजल गजरा कंगन कैसा होता है

हद से भारी बोझ किताबों का जो ढोये फिरते हैं
ऐसे बच्चे क्या जानेंगे, बचपन कैसा होता है

भाई की महिमा मत पूछो, बाली और विभीषण से
राम बता सकते हैं तुमको, लक्ष्मन कैसा होता है

छोटे-छोटे कमरों वाले,शहरीजन ये क्या जानें
ताल तलैया खटिया छप्पर आँगन कैसा होता है

इन अंग्रेज़ी स्कूलों के बच्चे कैसे समझेंगे
बावन-तिरपन-चौअन-पचपन-छप्पन कैसा होता है

१ फरवरी २०२४

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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