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अनुभूति में विनोद पासी हंसकमल की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
एक उम्र गुजर गई
भीड़ में अकेले
शहरों की चकाचौंध
समर्पण
सृजन

 

सृजन

सिर्फ कलाकारों
की
धरोहर नहीं सृजन
गीतकार
कवि
शिल्पकार
संगीतज्ञ
नृत्यकार
चित्रकार ही
नहीं करते सृजन।

लगन से किया गया
हर रचनाकर्म
निखरता है सृजन बन।

कला के रूप हैं अनेक--
माली का बाग़ सजाना
नदियों और शहरों की साफ़ सफाई
फसलों को बोना
और काटना
स्वादिष्ट खाना बनाना
मन से परोसना
घर की साफ़ सफाई
बच्चों को पाल-पोस बड़ा करना
भविष्य के लिये तैयार करना उन्हें
ढेरों रूप हैं सृजन के।

अपना कर्तव्य निभाना
सृजन है सबसे महान।

१० जून २०१३

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