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अनुभूति में विनोद पासी हंसकमल की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
एक उम्र गुजर गई
भीड़ में अकेले
शहरों की चकाचौंध
समर्पण
सृजन

 

समर्पण

सरल सरोज सुप्त सरोवर में
सरसिज सुमनों नें डेरा डाला है
ऐ नारी तेरे आँचल में
ममता ने डेरा डाला है

जब देखूँ तुझे
ह्रदय-गगरिया मेरी भर आये।
तेरी ममता के आगे तो
जग निधियाँ नत-मस्तक हो जाएँ

इन नयनों से जो नीर बहा
मानव क्या, जग भी डूब गया
मेरा कलुषित मन उससे
नित नित पावन होता ही गया

ऐ नारी, तुम मेरी पूजा
पूजा ही रहो तुम जीवन भर
जीवन के पुष्प सजी अँजुरी
श्रद्धा से समर्पित करता हूँ
स्वीकार करो, स्वीकार करो

१० जून २०१३

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