अनुभूति में रंजना
सोनी की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
कर्म और संघर्ष
नव वर्ष
पतझड़ी शाम
बरखा बहार
भागीरथी
ममता
सवाल
छंदमुक्त में-
गुनगुनी धूप
बचपन
बयार
भाव
मधुयामिनी
शरद ऋतु |
|
गुनगुनी धूप
हिमशिखर पर खिली आज
गुनगुनी धूप है
लग रहा ऐसा
स्वर्णपरी का देश है
दस्तक सुन वसंत की
बर्फीले नजारों का
बदला स्वरूप है
गुनगुनी धूप है।
क्षितिज से आकर
रश्मियाँ मिटा रही अवसाद है
अंधेरे का पर्दा हटाकर
किरणो के रथ पर मुस्काती
गुनगुनी धूप है।
फूलों के रूख़सार पर
तितलियों को खींच लायी
रूप उर्वशी सा मधुर अनुक्षण
ऋचाओं की गंगोत्री
गुनगुनी धूप है। |