अनुभूति में
मीना
चोपड़ा की कविताएँ-
नई रचनाओं में-
अमावस को
इश्क
एक अंतिम रचना
कुछ निशान वक्त के
ख़यालों में
मुट्ठी भर
सार्थकता
कविताओं में-
अवशेष
ओस की एक बूँद
गीत गाती
विस्मृत
स्तब्ध
सनन-सनन स्मृतियाँ
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मुट्ठी भर -
मुट्ठी भर वक़्त
कुछ पंख यादों के
बटोर कर बाँध लिए थे
रात की चादर में मैंने।
पोटली बनाकर रख दी थी
घर के किसी कोने में बहुत पहले।
आज जब भूल से तुम
ख़्वाब में आए
तो याद आ गई!
बैठी हूँ खोजने तो
कुछ मिलता ही नहीं!
टटोलती हूँ, ढूँढ़ती हूँ,
नज़रें पसार कर
पोटली तो क्या
घर के कोने भी
गुम हो चुके हैं सारे!
इंतज़ार है तो बस एक ही
कि वह रात एक बार फिर लौटे
बूँद-बूँद चेहरे से तेरे गुज़रे,
भर के हाथों में उसे सहलाऊँ मैं
होठों से चूमूँ
पोटली में रख दूँ फिर से-
इस बार सम्हाल कर
अपनी पलकों के तले।
२५ जनवरी २०१० |