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अनुभूति में मीना चोपड़ा की कविताएँ-

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कविताओं में-
अवशेष
ओस की एक बूँद
गीत गाती
विस्मृत
स्तब्ध
सनन-सनन स्मृतियाँ

  एक अंतिम रचना

वह सभी क्षण
जो मुझमें बसते थे
उड़कर आकाश गंगा
में बह गए।

और तब आदि ने
अनादि की गोद से उठकर
इन बहते पलों को
अपनी अंजली में भरकर
मेरी कोख में उतार दिया।

मैं एक छोर रहित गहरे कुएँ में
इन संवेदनाओं की गूँज सुनती रही।

एक बुझती हुई याद की
अंतहीन दौड़!
एक उम्मीद!
एक संपूर्ण स्पर्श!
और एक अंतिम रचना।

२५ जनवरी २०१०

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