अनुभूति में
अनिता
कपूर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अनचाहे एहसास का दर्द
खिड़की
साठ साल की उम्र वालों
हाशिये पर
हाइकु में-
पंद्रह हाइकु
क्षणिकाओं
में-
सात क्षणिकाएँ
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सात क्षणिकाएँ
१
तेरी आवाज़ की
एक खुश्बू
दिल के दरवाजे को धकेल
मेरी रूह को
सराबोर कर गयी
और मैं
सोचती ही रह गयी,
कि,
मैं तेरी कौन लगती हूँ
२
मैं, तू
ख़ामोशी
सूखे पत्ते
फिर एक
इतिहास..
३
अक्षरों के हुस्न
कागजों की अमानत
आँख की मोमबती
रात भर जलती
बनती कविता
४
वही मोड़
फिर वही आवाज
ठहरी रात
सुबह का सूरज
रौशनी
फिर सब ख़तम
५
आज समुन्दर को,
जाने
क्या ख़याल आया
चाँद से छुप कर
चाँदनी में नहा आया
६
यादों की चारपाई
उम्र का बिछौना
नज्मों को ओढ़
पकड़े ही रह गयी
उस रात का कोना
७
तेरी गलियों की
हवा की एक महक
अहसासों के
बंद किवाड़ धकेल
मेरी रूह के कानों में
पायल बजा गई
५ दिसंबर २०११ |