अनुभूति में
अनिता
कपूर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अनचाहे एहसास का दर्द
खिड़की
साठ साल की उम्र वालों
हाशिये पर
हाइकु में-
पंद्रह हाइकु
क्षणिकाओं
में-
सात क्षणिकाएँ
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खिड़की
मेरे घर की यह खिड़की
मुझे बहुत प्यारी लगती है
इस खिड़की की एक विशेषता
इसमें एक अदृश्य दूरबीन जड़ी है
जो संवेदनाओं से बनी है
यह करवा देती है भौगोलिक सैर
नैहर से संदेश लाये नाई सी लगती है
मेरे घर की यह खिड़की
मुझे मेरे मायके जैसी लगती है
मेरे घर की यह खिड़की
आज भी गीली है इसकी लकड़ी
मैंने कल ही निर्भया को रोते देखा
इसी दूरबीन ने दो बच्चियों को
दरख्त से झूलते देखा
और भी बहुत कुछ होते देखा
अपने मन को शर्मसार भी होते देखा
यहाँ सुबह का अखबार तो नहीं मिलता
मेरे अलादीन का चिराग
बिन कहे ही मेरी पीड़ा समझता है
और मेरी दूरबीन के लेंस को हमेशा
चमका कर रखता है
सुनते थे तालिबानी मेरे घर से दूर हैं
पर आज मेरे घर की इस खिड़की ने
उन्हें अपने देश के राज्यों में घुसते देखा है
दूरबीन ने बलात्कारियों को भी
शहर-शहर में सूँघते देखा है
कल दूरबीन थोड़ी सी हँसी थी
शायद बोलने भी लगी थी
या न्याय करने वाले के कान खुलने लगे हैं
क्या सच में, हवा में प्रदूषण कण कम हुए है?
दूरबीन के काँच को पहली बार
सुबह उजली सी लगी है
मेरे घर की खिड़की प्रवासी तो है
पर बंदनवार, तोरण, झालर देसी हैं
इसीलिए तो हमेशा
गीली ही रहती है इसकी लकड़ी
देश से आए बादलों का पर्दा जो है
१ जून २०१९ |