अनुभूति में
अनिता
कपूर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अनचाहे एहसास का दर्द
खिड़की
साठ साल की उम्र वालों
हाशिये पर
हाइकु में-
पंद्रह हाइकु
क्षणिकाओं
में-
सात क्षणिकाएँ
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हाशिये पर
न भेजो हाशिये पर
माँ-बाप तुम्हारी छत हैं
बनाओ न इनमें झरोखे
यह छत ही आसमां है
तुम्हारे पंख, इन्हीं की देन
न करो इन्हें बेसहारा
आईना हैं यह तुम्हारा
प्यार में स्वार्थ न घोलो
सुबकुछ तो है तुम्हारा
भूल गए तुम, आखिरी सीढ़ी
दहलीज की, तुम्हें भी तो छुएगी
फिर भी माँ के मुख से
बददुआ तो न निकलेगी
इनकी आँसुओं की आहों का सफर
तुम्हारी जिंदगी को पलटने में
उतना ही समय लेगा
जितना कि-
''दिन'' को ''शाम'' में बदलने में-
यानी
''एक पल''
रह जाएँगे पास सिर्फ सन्नाटे
सन्नाटों के डर से बचो, चेतो
अपने आइनों को प्यार करो
कोख का सम्मान करो
एक बार रामायण पढ़ लो
पढ़ते-पढ़ते राम-सीता को जी लो
फिर देखो, पूरा का पूरा आसमां
होगा सिर्फ तुम्हारा
माँ बाप तो छत हैं
न भेजो हाशिये पर
न करो इन्हें बेसहारा
आईना हैं यह तुम्हारा
१ जून २०१९ |