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अनुभूति में यदु जोशी 'गढ़देशी' की
रचनाएँ-

कविताओं में-
गति
दोगले चेहरे
नकली है
पहाड़ और मैं
रस्सियाँ
स्वेटर
समय

 

रस्सियाँ

आम आदमी के लिए
रस्सियाँ बड़े काम की होती हैं
छप्पर बाँधने के लिए
रस्सियाँ
बैलों को खेत-खलिहानों तक
हाँकने के लिए
रस्सियाँ
पीठ पर बोझ को
लादने के लिए
रस्सियाँ
थककर चूर हो
खटिया में झपकियाँ लेने के लिए
मूँज की रस्सियाँ
बाढ़ के दुरागमन पर
बचे-खुचे सामानों को
बाँधने के लिए
रस्सियाँ
और अकाल पड़ने पर
गले में फंदा डालकर
लटक जाने के लिए
रस्सियाँ ही काम आती हैं।

24 सितंबर 2007

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