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अनुभूति में यदु जोशी 'गढ़देशी' की
रचनाएँ-

कविताओं में-
गति
दोगले चेहरे
नकली है
पहाड़ और मैं
रस्सियाँ
स्वेटर
समय

 

नकली है

पेट को चाहिए रोटी, मगर नोट नकली है
नज़र का फ़र्क है या हर चीज़ नकली है।

जीना चाहता हूँ ज़िंदगी मैं तेरे वास्ते
क्या करुँ हर दवा नकली नकली है।

चाक कर दूँ जिगर, मिटा दूँ हस्ती मेरी
हर चेहरा यहाँ का, लगता नकली है।

किसे लगाऊँ गले, किसके आँसू पोछूँ
जो भी बहता है, नकली-नकली है।

किससे इश्क करूँ, किसे अपना समझूँ
दोस्त कहता हूं जिसे वह भी नकली है।

कैसे करुँ इबादत, कैसे करुँ सिजदे,
ज़र्रा-ज़र्रा यहां पर नकली नकली है।

देना चाहा था तुम्हें सौगात प्यार की,
मोती जो लगा हाथ, वह भी नकली है।

ऐ प्यासी धरती, दरख़्तों, नाचते मोरों,
बादल जो घिरा आज, वह भी नकली है।

24 सितंबर 2007

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