अनुभूति में डा. वंदना मिश्रा
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में--
क्रूर हास्य
दो चित्र
वो गीत
मनराखन बुआ
माँ चली गयी
|
|
दो चित्र
चित्र :एक
लौट रही है ऑफिस से स्त्री
मन में दिन भर की कड़वाहट भरे
तानें, प्रतिस्पर्धा
और सभ्य लोगों की
असभ्यता सहते
जवाब देती, मुँहजोर कहाती
थोड़ा सा ऑफिस साथ आता है
जिसे झटक कर छुड़ा नहीं पाती
आप कहते हैं घर में
ऑफिस की समस्या मत सुनाओ ।
चित्र : दो
जा रही है ऑफिस स्त्री
टिफिन, चाय, बच्चों का होमवर्क
कराते हुए
आधी नींद बिस्तर पर छोड़ कर
आज फिर अपना लंच बॉक्स
मेज़ पर भूल आई,
आप कहते हैं
ऑफिस में
घर की समस्या मत लाओ।
१ दिसंबर २०२३
|