अनुभूति में
सुशील जैन की
रचनाएँ -
नई रचनाओं में-
कविता
पहाड़
प्रेमकथा
मनवृक्ष
वृक्ष संस्कृति
छंदमुक्त में-
अर्ध शतक
एक शहर की दास्तान
इस निर्मम समय में
उड़ान
कर्फ्यू
कहानियाँ
क्या कहूँगा में
चिड़िया
दो छोटी कविताएँ
पेड़
प्रश्न-क्षण
प्रशिक्षण
सेतुबंध
|
|
मन-वृक्ष
मेरे मन में
असीम संभावनाओं से भरा
एक हरा वृक्ष है
अनंत जीवन से ओत-प्रोत
इस अनाम वृक्ष को
मैं कोई नाम नहीं देता
नाम देते ही
काठ हो जाऊँगा मैं
वृक्ष तो फिर भी रहेगा
जीवंत।
१९ मई २०१४
|