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पेड़

पेड़ सिर्फ पेड़ होता है
वह हमारी नज़र है
जो उसे बनाती है
आम, नीम, चिनार या बबूल।

पेड़ उदास होते हैं पतझड़ में
पेड़ हँसते हैं बच्चों के बीच
पेड़ प्रतीक्षा करते हैं
चिड़ियों की, कोपलों की
बादलों की, झूलों की।
पेड़ कितने भी ऊंचे हों
उनके पाँव
पल भर को नहीं छोड़ते
अपनी ज़मीन।

पेड़ लड़ता है
जिंदगी भर
बाढ़ से, सूखे से
आदमी की भूख से
आंधियों से, कुल्हाड़ियों से
और अंत में-
दाय में दे जाता है
यह लड़ाई
बीज को।

१४ फरवरी २०११

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