अनुभूति में
सुशांत सुप्रिय की
रचनाएँ -
नयी रचनाओं में-
इधर से ही
एक सजल संवेदना-सी
किसान का हल
लोगों समझो
विडंबना
छंदमुक्त में-
केवल रेत भर
दिल्ली से
विस्तार
सबसे अच्छा आदमी
साठ की उम्र में
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सबसे अच्छा आदमी
सबसे अच्छा है
वह आदमी
जो अभी पैदा ही नहीं हुआ
उसने हमें कभी नहीं छला
प्रपंचों पर वह कभी नहीं पला
हमें पीछे खींच कर
वह आगे नहीं चला
बची हुई है अभी
वे सारी जगहें
जिन्हें घेरता
उसका अस्तित्व
अपनी परछाईं से
बची हुई है अभी
उन सारी जगहों की
आदिम सुंदरता
उसके हिस्से की रोशनी में
नहाती हुई
बची हुई है
अब भी निर्मल
उसके हिस्से की
धूप पानी हवा
आकाश मिट्टी
बचा हुआ है अभी फ़िज़ा में
उसके हिस्से का ऑक्सीजन
राहत की बात है कि
इसी बहाने थोड़ी कम है अभी
वायुमंडल में
कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा
नहीं बनी है एक और सरल रेखा
वक्र रेखा अभी
बची हुई है बेहतरी की
कुछ संभावनाएँ अभी
कि उपस्थित के बोझ से
कराह रही धरती को
अनुपस्थित
अच्छे आदमी से मिली है
थोड़ी-सी राहत ही सही
४ अगस्त २०१४
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