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अनुभूति में सुरेश यादव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
चार छोटी कविताएँ
चाहता हूँ जब
ज़मीन
ताजमहल
माटी का घड़ा
यह शहर किसका है
रिश्ते
रोमानी बोध
शहर नंगा हुआ
सत्य

 

 

रोमानी बोध

आँधी से जूझते हुए
घायल
खून से लथपथ
परिंदे के टूटे हुए पंख का
'रंगीन' होना
तुम्हें बहुत भाता है
लिख डालते हो- कविता
नाचती हुई मयूरी-सी
कितना निर्दयी है तुम्हारा
रोमानी भाव-बोध
फिर भी तुम बड़े कवि हो!

१ अक्तूबर २००६

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