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अनुभूति में सुजीत कुमार सुमन की रचनाएँ

कविताओं में-
घर
चुनौती
चुप ही रहता हूँ
परख
भविष्य
यही है ज़िंदगी प्यारे
वर्षों बाद

 

चुप ही रहता हूँ

मैं अब चुप ही रहता हूँ
अकसर अविश्वसनीय हो जाते हैं
सच बोलनेवाले
आप मुझे कुरेदेंगे पर मैं कुछ नहीं बोलूँगा
मेरे और आपके रिश्ते में पड़ सकती है
दरार कोई मेरे बोलने से
मैं सत्य के अस्तित्व को बचाए रखना
चाहता हूँ अपने मौन में सत्य को

पुरातत्व बनाकर सहेजता हूँ।

9 मार्च 2007

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