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परिंदे
कभी नहीं पहनते गर्म कपड़े
स्वेटर कोट जुराब
छाता नहीं लेते बरसात में
आग नहीं तापते, पंखा नहीं झलते
तब भी गाते रहते सदा।
उड़ते हैं बरसात के बाद उन्मुक्त
उठते हैं सर्दियों में मुँह अँधेरे
देर शाम तक जगते हैं गर्मियों में
कभी बीमार नहीं देखे
बूढ़े नहीं देखे
मरते नहीं देखे।
जानते हैं दुख छिपाना, सुख बाँटना
सदा रहते जिंदा और जवान
दूसरों के लिए।
जीते सब के संग
मरते एकान्त में।
२ फरवरी २०१५ |