अनुभूति में
सुबोध श्रीवास्तव की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
चीखना मना है
तटबंध
तुम मेरे लिये (दो छोटी कविताएँ)
भूकंप
सिलसिला |
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तुम, मेरे लिए (दो
छोटी कविताएँ)
१
तुम,
चलाते रहो
अपनी कुदाल,
शोषण की बात सोचकर
रोकना नहीं
अपने-
यंत्रचालित से हाथ
वरना,
मौत हो जाएगी
कविता की।
२
तुम,
जरूरी हो
मेरे लिए
ठीक उसी तरह
जैसे-
चिडि़या के लिए
जरूरी नहीं होता
आंगन,
आंगन के लिए
जरूरी है
चिडि़या की चहक। २ अगस्त २०१० |