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अनुभूति में सुबोध श्रीवास्तव की
रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
चीखना मना है
तटबंध
तुम मेरे लिये (दो छोटी कविताएँ)
भूकंप
सिलसिला

 

भूकंप

उस रोज फिर
गुस्से में
करवट बदली धरती ने
और
अपनी असंख्य सन्तानों को
गोद में समेट लिया।
आदम-
यह संकेत है
तुम्हारे लिए
शायद, जान सको तुम
धरती की संतान होने का अर्थ
और
परिभाषा
आदम जाति की।
धरती-
खुद नहीं बयान करती
दर्द अपना
बस, कसमसाकर
बेचैनी से करवट बदल लेती है।

२ अगस्त २०१०

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