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अनुभूति में सिद्धेश्वर सिंह  की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
टोपियाँ
नाम
बेटी
समय राग

संकलन में-
अमलतास- अमलतास
नववर्ष अभिनंदन- नया साल तीन अभिव्यक्तियाँ
फागुन के रंग- कहाँ है वसंत
वर्षा मंगल- हथिया नक्षत्र
 

 

टोपिया

टोपियाँ खुश हैं
कि वे सिर पर सवार हैं
टोपियाँ खुश हैं
कि सबसे ऊँची है उनकी जगह
टोपियाँ खुश हैं
कि उनके नीचे दबा हुआ है दिमाग
टोपियाँ खुश हैं
कि उनकी छत्रछाया में पनप रहा है ज्ञान -विज्ञान
टोपियाँ खुश हैं
कि उनकी छाया में सूख रही हैं तमाम जरूरी चीजें
टोपियाँ खुश हैं
कि उनके ऊपर कुछ भी नहीं है
टोपियाँ खुश हैं
कि उनके नीचे सबकुछ है विद्यमान .

टोपियाँ समझदार हैं
वे आपस में संवाद नहीं करती हैं
टोपियाँ समझदार हैं
वे आपस में करती हैं सिर्फ़ वाद और विवाद
टोपियाँ समझदार हैं
वे जब चाहें बदल लेती हैं आपस में सिर
टोपियाँ समझदार हैं
वे हमेशा सिर पर सवार रहती हैं.
टोपियाँ खुश हैं कि वे टोपियाँ हैं
टोपियाँ खुश हैं
कि चाहे जिस ओर भी रहें
वे बड़ी समझदारी से
तलाश लेती हैं अपने लिए एक अदद सिर।

२५ अप्रैल २०११

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