अनुभूति में
सिद्धेश्वर
सिंह की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
टोपियाँ
नाम
बेटी
समय राग
संकलन में-
अमलतास-
अमलतास
नववर्ष अभिनंदन-
नया साल तीन अभिव्यक्तियाँ
फागुन के रंग-
कहाँ है वसंत
वर्षा मंगल-
हथिया
नक्षत्र
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बेटी
घास पर
ठहरी हुई ओस की एक बूँद
इसी बूँद से बचा है
जंगल का हरापन
और समुद्र की समूची आर्द्रता।
सूर्य चाहता है इसका वाष्पीकरण
चंद्रमा इसे रूपायित कर देना चाहता है हिम में
मधुमक्खियाँ अपने छत्ते में स्थापित कर
सहेज लेना चाहती हैं इसकी मिठास
कवि चाहते हैं
इस पर कविता लिखकर अमरत्व हासिल कर लेना।
मैं एक साधारण मनुष्य
एक पिता
क्या करूँ?
चुपचाप अपनी छतरी देता हूँ तान
गो कि उसमें भी हो चुके हैं कई - कई छिद्र।
२५ अप्रैल २०११
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