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अनुभूति में श्याम अंकुर की रचनाएँ -

गीतों में-
कौन दे गया
खेत जिगर का
चलती देखी
झेल रहा हूँ
रिश्तों के बीच
लोग यहाँ के
विश्वासों की चिड़िया
 

 

रिश्तों के बीच

रिश्तों के -
अब बीच में,
स्वारथ की तलवार।

इक-दूजे को
देते धोका
अपनों ने ही रस्ता रोका
गुमसुम बैठा -
रो रहा,
राम-भरत का प्यार।

छाई
भौतिकता की काई
काली करता मनुज कमाई
मन की -
यूँ आवाज को,
मनुज रहा है मार।

गुलशन लूटा
रखवालों ने
शकुनी की कपटी चालों ने
दुर्योधन की -
जीत अब,
अर्जुन की क्यूँ हार?

१ सितंबर २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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