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अनुभूति में श्याम अंकुर की रचनाएँ -

गीतों में-
कौन दे गया
खेत जिगर का
चलती देखी
झेल रहा हूँ
रिश्तों के बीच
लोग यहाँ के
विश्वासों की चिड़िया
 


 

 

चलती देखी

चलती देखी -
शूल की,
पंचायत में बात।

जिन गालों पर लाली है
गुलशन का वो माली है
कमज़ोरों की -
आँख से,
होती है बरसात।

मन का धीरज डोल रहा
कड़वा सच अब बोल रहा
मीठा बनकर -
कर रहा,
बरगद हमसे घात।

किसको घाव दिखाएँ हम
मन की बात बताएँ हम
अब तो -
बैरी हो गये,
’अंकुर‘ अपने तात।

१ सितंबर २००८

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