चलती देखी
चलती देखी -
शूल की,
पंचायत में बात।
जिन गालों पर लाली है
गुलशन का वो माली है
कमज़ोरों की -
आँख से,
होती है बरसात।
मन का धीरज डोल रहा
कड़वा सच अब बोल रहा
मीठा बनकर -
कर रहा,
बरगद हमसे घात।
किसको घाव दिखाएँ हम
मन की बात बताएँ हम
अब तो -
बैरी हो गये,
’अंकुर‘ अपने तात।
१ सितंबर २००८
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