अनुभूति में
श्वेता गोस्वामी की
रचनाएँ -
अंजुमन में-
अपने वादे को
कौन कहता है
तू नहीं है तेरी तलाश तो है
फ़ैसला
छंदमुक्त में-
कविता
जीवन
मेरी जां हिन्दुस्तान
वक्त
विचारवान लोग
संभावना
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मेरी जां
हिंदुस्तान
दिल हिंदुस्तान मेरी जां
हिंदुस्तान
धरती ये पुकार आसमां हिंदुस्तान।।
नफ़रतों का देता है मोहब्बत से जवाब
बारूदों की छाती पे खिलाता है गुलाब
दुनियाँ में अनोखा बगबाँ हिंदुस्तान।
धरती ये पुकारे आसमां हिंदुस्तान।।
धूप गुलामी की हरगिज़ न तुझको जला सकेगी
आज़ादी की छाया तेरे सर पे सदा रहेगी
तुझपे है कुर्बान हर जवां हिंदुस्तान
धरती ये पुकारे आसमां हिंदुस्तान।।
बम के बने ज़खीरे चाहे हो बंदूक की खेती
गाँधी - गौतम की बातें ही मन को शांति देती
दुनिया में अमन का पाशवां हिंदुस्तान
धरती ये पुकारे आसमां हिंदुस्तान।।
१६ अगस्त २००६
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