अनुभूति में
श्वेता गोस्वामी की
रचनाएँ -
अंजुमन में-
अपने वादे को
कौन कहता है
तू नहीं है तेरी तलाश तो है
फ़ैसला
छंदमुक्त में-
कविता
जीवन
मेरी जां हिन्दुस्तान
वक्त
विचारवान लोग
संभावना
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जीवन
एक समय
जब सभी ने
निष्कासित कर दिया था मुझे
अपने-अपने जीवन-प्रसंगों से
मैंने स्वयं से
पूछा था एक सवाल
क्या जीवन
इतने से हो जाता है समाप्त?
जबाव में
मैं ज़िंदा हूँ अभी तक।
१ फरवरी २००६
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