अनुभूति में
श्वेता गोस्वामी की
रचनाएँ -
अंजुमन में-
अपने वादे को
कौन कहता है
तू नहीं है तेरी तलाश तो है
फ़ैसला
छंदमुक्त में-
कविता
जीवन
मेरी जां हिन्दुस्तान
वक्त
विचारवान लोग
संभावना
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फ़ैसला
फ़ैसला ये ज़रा सा मुश्किल है
ग़म मौसम है या मेरा दिल है
हद हुआ करती है समंदर की
आँसुओं का न कोई साहिल है
उससे मिलना भी उससे बचना भी
वो ही हाफ़िज है वो ही कातिल है
अहले-दिल चल पड़े तो राह बनी
और जहाँ रुक गए वो मंज़िल है
खुद ही वो शम्मा खुद ही परवाना
उसकी महफ़िल अजीब महफ़िल है
दास्ताने-हयात थी आधी
उससे मिलकर हुई मुकम्मिल है
सुबह आएगी ताज़ा-दम होके
रात 'श्वेता' ये माना बोझिल है
१ फरवरी २००६
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