अनुभूति में
संजय भारद्वाज की
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फलत:
बोधिवृक्ष
संजय दृष्टि |
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बोधिवृक्ष
बोधिवृक्ष, जो हरे-भरे रहे हैं
अब ठूँठ से खड़े हैं
संभवत:
धरती से जुड़े रहने का दंड मिला है!
जंगली बेलें,
धरती से ऊपर पनपती
बोधि के वक्ष पर फुदकती
इठला रही हैं,
परजीवी हैं
बोधि की सूखी जड़ों को खा रही हैं
और बुद्धिमानी के सरकारी तमगे पा रही हैं!
बोधि बंजर हो चुके,
जंगली बेलें सौभाग्यवती हैं,
हमारे समय की
यही विसंगति है।
१० नवंबर २००८
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