अनुभूति में
रोली शंकर की रचनाएँ-
छंद मुक्त में-
कैद
मछलियाँ
वो सिलती बटुए
हम स्वतंत्रता में
ये स्त्रियाँ
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हम स्वतंत्रता में
वे दे गये
अपनी देह /लहू/प्राण
अपनी हँसी/ख़ुशी/स्वप्न
हमारी आँखों में मोती भर धान
सिर पर खुला आसमान।
स्वच्छता के पर
स्वतंत्रता के स्वर
केसरिया हवा, धानी चुनर
सफ़ेद धवल अंक, सुन्दर संसार
विरासत में अपना अनंत प्यार।
औऱ हमने उड़ाये उन्हीं के परखच्चे
ढूँढे उन्हीं के अपराध
उन्हीं के नियमों से निकाले स्वार्थ के संवाद।
उन्हीं की कीर्ति में फैलाये
अलग-अलग रंगों के झंडे
मजहबों के खेल में सुलगा लिए कंडे।
वे परतंत्रता में एक थे
हम स्वतंत्रता में अनेक हैं।
१ दिसंबर २०१८
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