अनुभूति में
प्रिया सैनी की रचनाएँ-
कविताओं में-
अहं की मीनार से
कुछ भीगा भीगा
जाओ तुम्हें आज़ाद किया
जाने क्यों चुप हूँ
तीन छोटी कविताएँ
तेरे प्रेम का चंदन
मेरा गुलमोहर उदास है
मैं पिघलता लावा नहीं
शाम से ढली हुई
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मेरा गुलमोहर उदास है
मेरा गुलमोहर उदास है
प्यार तो करता है मगर
दीदार से इंकार है!
रूठता है मुझसे कभी
मनवाता है बातें मनचाही
कहूँ जब कुछ रसी-रसी
तो करता बेकरार है!
कुछ तो है मन में
खिलता है कमल तन में
पूछती है जब हर कली
तो कहता इंतज़ार है!
कल ही की तो बात है
उसके लबों पर पुकार है
साँसों की बहकती सुरा पर
उठता-गिरता ज्वार है
रागिनी के मौन पर
फिर पूछता क्या प्यार है?
प्यार तो करता है मगर
दीदार से इंकार है!
१६ फरवरी २००६ |