अनुभूति में
प्रिया सैनी की रचनाएँ-
कविताओं में-
अहं की मीनार से
कुछ भीगा भीगा
जाओ तुम्हें आज़ाद किया
जाने क्यों चुप हूँ
तीन छोटी कविताएँ
तेरे प्रेम का चंदन
मेरा गुलमोहर उदास है
मैं पिघलता लावा नहीं
शाम से ढली हुई
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कुछ भीगा-भीगा
कुछ भीगा-भीगा सा
कुछ तन्हा-तन्हा सा
कुछ सूनी दीवार सा
कुछ उठता चिनार सा
कुछ घडी सा मंद-मंद
कुछ मौसम सा बंद-बंद
कुछ बिखरे ढेर सा
कुछ ऊँघती सवेर सा
कुछ बादल सा आस-पास
कुछ चाँद सा उदास
कुछ तुम सा बेपरवाह
कुछ मुझ सा राह-राह
यहीं था
कहाँ गया
मन???
१६ फरवरी २००६ |