अनुभूति में
प्रिया सैनी की रचनाएँ-
कविताओं में-
अहं की मीनार से
कुछ भीगा भीगा
जाओ तुम्हें आज़ाद किया
जाने क्यों चुप हूँ
तीन छोटी कविताएँ
तेरे प्रेम का चंदन
मेरा गुलमोहर उदास है
मैं पिघलता लावा नहीं
शाम से ढली हुई
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अहं की
मीनार से
अहं की मीनार से
कभी उतरो त़ो मिलना!
दर्द के दिल सा धड़को
तो मिलना!
पत्थरों के शहर में
बसने वाले
नज़र का मुलम्मा उतारो
तो मिलना!
दूर खड़ी है वो
प्यास की आस लिए
जिंद़गी से मिलना चाहो।
तो मिलना!
बन गए हो प्रश्न तुम
अपनी ही नज़र में
उत्तर की तलाश हो
तो मिलना!
दूर नहीं है सच
नज़र से, प्राण से
झूठ से ऊब कर भागो
तो मिलना!
अपनों की तलाश में
अपनों की तलाश में
अपनों से घिरे हो
किसी बेगाने की चाह हो
तो मिलना!
नज़रे झुका कर क्या
नज़र से गिराओगे
खुद से उठना चाहो
तो मिलना!
काफ़ी नहीं है मौन
प्रेम के संवाद में
कभी सशब्द कहना चाहो,
तो मिलना!
१६ फरवरी २००६ |