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अनुभूति में प्रिया सैनी की रचनाएँ-
कविताओं में-
अहं की मीनार से
कुछ भीगा भीगा
जाओ तुम्हें आज़ाद किया
जाने क्यों चुप हूँ
तीन छोटी कविताएँ
तेरे प्रेम का चंदन
मेरा गुलमोहर उदास है
मैं पिघलता लावा नहीं
शाम से ढली हुई

तीन छोटी कविताएँ

१- आस की शमां

आस की शमां
बुझ जाए तो अच्छा!
हाथों की कलम
रुक जाए तो अच्छा!
काग़ज की दिल धधकता है
जल जाए तो अच्छा!
और यह धड़कन
रुक जाए तो अच्छा!


२- आज फिर रुलाया मुझे

आज फिर रुलाया मुझे
मन को मेरे मथ कर
बिरहा की सूली कस कर
हालत पर मेरे हँस कर
पीड़ा का ज़हर पिलाया मुझे!
यादों ने तेरी तन कर
मेरी राह बन कर
कुछ रूठ कर कुछ मन कर
फिर वहीं पहुँचाया मुझे!
आज फिर रूलाया मुझे!


३- तेरे चुभते शब्दों से

तेरे चुभते शब्दों से
आहत
तेरे पैने फ़ैसलों से
हत
तेरी पुकार के लिए
प्रतीक्षित
तेरे ही भीतर कहीं
दीक्षित
तेरे वाणों से
क्षत, विक्षत
शाम!

१६ फरवरी २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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