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अनुभूति में पूनम शुक्ला की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
किताबी पढ़ाई
गुलाबी रंग
बोझ
वक्त कम है
समाधान

 

समाधान

हमारी कालोनी से
बाहर निकलते ही
शुरू हो जाती है
मुख्य सड़क

वाहन की लंबी कतार
टी पीं की चिल्लम पौं
बनी रहती है दिन भर
और देर रात तक

आप कहेंगे इसमें
कौन सी खास बात है
पर यहाँ खास है
सड़क के किनारे बनीं
कई बड़ी-बड़ी
शराब की दूकानें
वो भी पूरी भव्यता
और साज-बाज के साथ

कोई भी बड़ी आसानी से
खरीद सकता है शराब
सरकार ने जो
बड़ी शान से
दूकानें खुलवाईं हैं जनाब

सड़क के किनारे
बसी हैं झुग्गी झोपड़ियाँ भी
और एक मजदूर चौराहा
जहाँ रोज लगता है
मजदूरों का बाजार

क्यों दिखे नहीं
बड़े अधिकारियों को
इन गरीबों की जमात
एक मजदूर के कर्मठ हाथ
दुबके झुग्गी में भूखे पेट

बहुत सस्ते में ही
निपटा दी गई हैं
इनकी समस्याएँ
ढकेलो बस एक पाउच
और देखो मीठे सपने
खत्म शरीर की पीड़ा
और पेट की भूख ।

२४ फरवरी २०१४

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