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किताबी पढ़ाई
उन्होंने कहा
जीना भी झमेला है
हर कदम पर मुसीबतें
अवरोध, पत्थर
मैंनें उँगली से
दिखा दिया नदी को
देखो दौड़ती है वो
पत्थरों के बीच
उन्होंने कहा
वो छीन लेता है हमारी रोटी
पसीने की कमाई
हमारा सपना
मैंने उँगली से
दिखा दिया पेड़ को
देखो सब लुटा देता है
ये महादानी वृक्ष
उन्होंने कहा
एक कमरे में
दम घुटता है
कम पड़ जाते हैं पैसे
गरीबी है, भुखमरी है
मैंने दिखाया उन्हें
आनंद पाने का मार्ग
सत्य और धर्म का
किसी महात्मा द्वारा सुना हुआ
पर जब ध्यान से देखा
नदी मैली और विषैली थी
पेड़ पीले मुरझाए
खुद पर हँसते थे
और महात्मा स्वयं
विवाद और विषाद में
घिरा हुआ था
प्रश्न मौन खड़ा है
उत्तर फिर खोजना है
सारी किताबी पढ़ाई
धरती में धसक गई है।
२४ फरवरी २०१४ |