अनुभूति में
नरेश सक्सेना की रचनाएँ-
गीतों में-
आज साँझ मन टूटे
फूले फूल बबूल
बैठे हैं दो
टीले
साँकल खनकाएगा
कौन
सूनी संझा झाँके
चाँद
छंदमुक्त में-
ईटें
उसे ले गए
कांक्रीट
कविताएँ
देखता हूँ अंधेरे में अंधेरा
क्षणिकाओं में--
आघात
कुछ लोग
सीढ़ी
दरार
पानी
दीमकें |
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कविताएँ
जैसे चिड़ियों की उड़ान में
शामिल होते हैं पेड़
क्या कविताएँ होंगी हमारे साथ?
जैसे युद्ध में काम आए
सैनिक की वर्दी और शस्त्रों के साथ
खून में डूबी मिलती है उसके बच्चे की तस्वीर
क्या कोई पंक्ति डूबेगी खून में?
जैसै चिड़ियों की उड़ान में शामिल होते हैं पेड़
मुसीबत में कौन-सी कविताएँ होंगी हमारे साथ
लड़ाई लिए उठे हाथों में
कौन से शब्द होंगे? |