अनुभूति में
कवि कुलवंत सिंह की रचनाएँ-
अंजुमन में-
तप कर ग़मों की आग में
हाइकु में-
सत्रह हाइकु
गीतों में
छेड़ो तराने
प्रकृति
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
प्रणय का गीत
वंदना |
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तप कर ग़मों की आग में
तप कर गमों की आग में कुंदन बने हैं हम
खुशबू उड़ा रहा दिल चंदन सने हैं हम
रब का पयाम ले कर अंबर पे छा गए
बिखरा रहे खुशी जग बादल घने हैं हम
सच की पकड़ के बाँह ही चलते रहे सदा
कितने बने रकीब हैं फिर भी तने हैं हम
छुप कर करो न घात रे बाली नही हूँ मैं
हमला करो कि अस्त्र बिना सामने हैं हम
खोये किसी की याद में मदहोश है किया
छेड़ो न साज दिल के हुए अनमने हैं हम
७ जनवरी २००८
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