अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में कवि कुलवंत सिंह की रचनाएँ-

अंजुमन में-
तप कर ग़मों की आग में

हाइकु में-
सत्रह हाइकु

गीतों में
छेड़ो तराने
प्रकृति
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
प्रणय का गीत
वंदना

 

प्रणय का गीत

गीत प्रणय का अधर सजा दो।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।

शीतल अनिल अनल दहकाती
सोम कौमुदी मन बहकाती
रति यामिनी बीती जाती
प्राण प्रणय आ सेज सजा दो।
गीत प्रणय का अधर सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।

ताल नलिन छटा बिख़राती
कुंतल लट बिख़री जाती
गुंजन मधुप विषाद बढ़ाती
प्रिय, वनिता आभास दिला दो।
गीत प्रणय का अधर सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।

नंदन कानन कुसुम मधुर गंध
तारक संग शशि नभ मलंद
अनुराग मृदुल शिथिल अंग
रोम-रोम मद पान करा दो।
गीत प्रणय का अधर सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।

16 मार्च 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter